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    उत्तराँचल कूप

    पहाड़ों में पीने के पानी के प्रमुख स्रोत छोटी नदियाँ और नाले हैं, जिन्हें स्थानीय भाषा में गधेरा कहा जाता है। इन स्रोतों को टैप करने के लिए नालों के पार सीमेंट कंक्रीट की चिनाई वाली दीवारें बनाई जाती हैं, जो आम तौर पर भारी बारिश के दौरान क्षतिग्रस्त हो जाती हैं या बह जाती हैं, जिससे जल आपूर्ति योजना में रुकावट आती है। इस समस्या के समाधान के लिए जल संस्थान ने ”उत्तराँचल कूप” का आविष्कार किया है। यह तकनीक टिकाऊ, कम खर्चीली और गुणवत्तापूर्ण जल आपूर्ति के प्रबंधन में सहायक है। इस पहल को शहरी विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा अच्छी पहल के लिए राष्ट्रीय शहरी जल पुरस्कार 2008 से सम्मानित किया गया है।