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    प्रस्तावना

    परिचय

    उत्तराखंड जल संस्थान का गठन मूल अधिनियम की धारा 18 के तहत किया गया है जिसका क्षेत्राधिकार 26 अगस्त 2002 को गढ़वाल जल संस्थान और कुमाऊं जल संस्थान के विलय से पूरे उत्तराखंड राज्य में है। इसका विस्तार छावनी क्षेत्रों को छोड़कर पूरे उत्तराखंड में है।

    पेयजल विभाग के सचिव उत्तराखंड जल संस्थान के अध्यक्ष हैं।

    अध्यक्ष के अतिरिक्त सदस्य निम्नानुसार होंगे:-

    1. मुख्य महाप्रबंधक
    2. राज्य सरकार के वित्त विभाग के सचिव
    3. राज्य सरकार के नियोजन विभाग के सचिव
    4. राज्य सरकार के शहरी विकास विभाग के सचिव
    5. महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं, उत्तराखंड सरकार
    6. निदेशक वित्त
    7. राज्य सरकार द्वारा नामित एक नगर निगम सहित स्थानीय निकायों के चार निर्वाचित प्रमुख
    8. उत्तराखंड पेयजल निगम के प्रबंध निदेशक

    जल संस्थान के कार्य:-

    1. योजनाओं की योजना बनाना, उन्हें बढ़ावा देना और क्रियान्वित करना तथा जल आपूर्ति की एक कुशल प्रणाली संचालित करना।
    2. जहां संभव हो, वहां योजनाओं की योजना बनाना, उन्हें बढ़ावा देना और उन्हें क्रियान्वित करना तथा सीवरेज, सीवेज, उपचार और निपटान तथा व्यापारिक अपशिष्टों के उपचार का संचालन करना।
    3. अपने सभी मामलों का प्रबंधन इस प्रकार करना कि जहां संभव हो, अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र के लोगों को स्वास्थ्यवर्धक जल, कुशल सीवरेज सेवा उपलब्ध कराई जा सके।
    4. किसी भी आपातकालीन समय में जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपाय करना।
    5. ऐसे अन्य कार्य जो राज्य सरकार द्वारा राजपत्र में अधिसूचना द्वारा सुनिश्चित किये जायें।